विरोध या समर्थन/पक्ष या विपक्ष
निंदा यानि आलोचना तर्क-वितर्क विरोध या समर्थन, पक्ष या विपक्ष ये सब व्यवाहरिक कड़ियांं दो छौर जिनके बीच व्यवहार होता है गति प्रगति के लिए दोनों आवश्यक. लेकिन बीच का मार्ग अवरुद्ध ना हो. तब सिक्का पूरे का पूरा तुम्हारा है. हैड या टेल सिर्फ़ आरंभ का आगाज़ मात्र जब विरोध या समर्थन की बात आती है आदमी की मंशा बाहर आती है. वह बाह्य सह-संबंध खोजता है. फायदे किसमें ज्यादा है. जैसे जाति/वर्ण/धर्म समुदाय लेनदेन/काट-छांट फिर *विरोध या *समर्थन अब व्यवहार के पहिये राजनीति/धर्म/चरित्र/आदत/व्यवसाय सबके सब जैसे विरोध वा समर्थन के ??? जैसे चुम्बकीय क्षेत्र दो विरोधी जैसे विदेशी यात्रा पर. मानों चाल थम सी गई हो. क्यों ? भारत एक संवैधानिक लोकतांत्रिक देश है. यहां व्यवस्था दो दलीय न होकर. बहु-दलीय व्यवस्था .....???? विरोध वा समर्थन के जिंदा उदाहरण. पक्ष या विपक्ष अपनी जवाबदेही/जिम्मेदारी समझे.