ईश्वरीय नहीं इंसानी विनाश का मॉडल

IITian मुख्यमंत्री है
B.Tech कवि "कोई दिवाना कहता है,
M.B.B.S चिकित्सक कोई सांसद तो
कोई spokesperson.
Ayush वाले भी कोई मुख्यमंत्री, विधायक, सांसद,
तो कोई contract base पर आजीविका का मोहताज़,
जिनके पास कोई डिग्री/डिप्लोमा नहीं,
वे बडी बडी संस्थाओं के मालिक मेरे आसपास.
फार्मेसी पंजीकृत नामांकरण किसी के नाम बैठा महारथी है मैट्रिक परीक्षा खास.
.
मतलब पढाई तय नहीं करती
आपका कार्यक्षमता कार्यक्षेत्र क्या होगा,
नेता का बेटा नेता,
डॉक्टर का बेटा डाक्टर
चाहे देना पड़े डोनेशन कई लाख,
पूँजीवादी अय्याशी विशेष.
सजदे CEO समूह के खास.
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जिससे पास नहीं कोई डिग्री
मैनेजिंग डायरेक्टर उनके साथ,
जनता तय करती पहुंचे उनके पास,
है झोलाछाप खास या mbbs पास.
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स्वामी बन बनाते रणनीति खास,
करें दान दिल खोलकर होगी उन्नति खास,
पत्थर ठीकर हैं नहीं चीज़ कोई खास.
जर,जोरू और जमीन लडाई की जड़ तीनों,
नहीं संभलने वाली तुमसे हम साधु खास.
मुँह में राम बगल में छुरी चिंतन खास हमरे पास.
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पंडित ज्योतिषी जन्मकुंडली के कौन आधार,
जो जन्मभूमि, कर्मभूमि रणभूमि तय कर सकी ना
प्रकट हुए न आसपास...
.
हम बहुत कंफ्यूज हूँ.
ये शरीर में उन अंत:स्रावी ग्रंथियों जैसा,
जिनके हॉर्मोन एंजाइम बनते कहीं है
काम कहीं और करते है.
स्रावी स्त्रोत तो होते है.
बहावी नलकियां गायब होती है.
.
प्रकृति और अस्तित्व का अध्ययन करें तो,
मानसिक कार्यशैली समझ नहीं आती.
मनोवैज्ञानिक अध्ययन भी एक लय प्रवाह परिमित दिशा निर्धारित नहीं करते.
ऐसे में चातुर्वर्ण्य जैसी व्यवस्था,
ईश्वरीय शक्ति की खोज़ में बाधक है.
एक विचलित कर देने वाला कृत्य.
शाश्वत सत्य और सनातन धर्म व्यर्थ के पहलू.
.
हृदय परिवर्तन के इतिहास में जगह जगह प्रमाण मिलते है.
इसे कोई रीति रिवाज चलन परम्परा तो आधारभूत नहीं करती नजर आई हाँ.
व्यैक्तिक आदमी द्वारा किए अनुभवों का प्रमाण अवश्य नजर आते है.
निष्कर्ष:- में ये कहा जा सकता है, धार्मिक, पारंपरिक तरीके इंसानी जिंदगी में कई मानसिक विकार पैदा करते हैं.
आज धरातल पर वही नजर एवम् प्रतिभूत हो रहे है.
कोई ताजुब नहीं
यह ईश्वरीय देन नहीं है.
इंसानी विकास का मॉडल है.

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